कोविड – 19 ने गरीब बच्चों को पढ़ाई से काफी दूर कर दिया. इनमें मुख्यत: सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने संसाधन न होने के कारण ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित रहे. देशभर में अनेक उदाहरण हैं जिनमें शिक्षकों ने पार्क, गली-नुक्कड़ों में जाकर ऐसे बच्चों को पढ़ाया.
इसी कड़ी में दिल्ली के एक सर्वोदय विद्यालय की वाइस प्रिंसिपल भारती कालरा जी का कोरोना के दौर में अलग तरह से सोचते हुए करीब 300 से अधिक बच्चों को मोबाइल फोन बांटे, जिससे उन बच्चों के साथ-साथ उनके परिवार के अन्य बच्चों की पढ़ाई कोविड -19 से प्रभावित न हों और वो ऑनलाइन के माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.
चलिए जानते है शिक्षिका भारती कालरा से, जिन्होंने ये अनूठी पहल की जिसके लिए उन्हें दिल्ली सरकार ने सम्मानित भी किया.
भारती कालरा ने बताया कि जब पूरे देश में लॉकडाउन लग गया था. तो गरीब परिवारों के सैकड़ों बच्चे थे, जो स्कूल के पढ़ाई और टीचर से कट ऑफ हो गए थे. जैसे की 40 बच्चे अगर कक्षा में हैं तो ऑनलाइन में 10-12 ही आते हैं, इसकी वजह उन्होंने बताया कि बाकी के पास फोन नहीं था. इससे वो कॉफी अपसेट और टेंशन में थी और सोचती थीं की पता नहीं कितने समय तक ये सब चलता रहेगा.
तभी उन्होंने सोचा अगर ऐसे सभी बच्चों को फोन मिल जाए तो वो सभी पढ़ाई कर पाएंगे. और उन्होंने अपनी फैमिली व अपने जानने वालों से बात की. सबने बोला कि हम फोन दे सकते हैं. फिर ऐसे में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से रिश्तेदार , फ्रेंडस के ग्रुप, स्कूल फ्रेंड्स के ग्रुप में यह समस्या लिखकर बताई. तो सभी लोग फोन डोनेट करने के लिए तैयार थे, और फिर उन्होंने किसी से कैश न लेकर 8500 रुपये की एक निश्चित मूल्य का ही फोन देने को कहा.
शिक्षिका भारती कालरा सर्वोदय विद्यालय सेक्टर 8 रोहिणी में वाइस प्रिंसिपल हैं. वो 22 साल से सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहीं हैं, वहीं 4 साल से सर्वोदय विद्यालय में वाइस प्रिंसिपल हैं. जिन्होंने 321 बच्चों को फोन देने के पश्चात अब दूसरी मुहिम चला रही हैं, जिसके अंर्तगत वो उन बच्चों की आर्थिक सहायता कर रही हैं, जिनके पिता की डेथ हुई है. वो बताती हैं कि हमारे स्कूल में ऐसे 25 बच्चे हैं, ये 10 पिताओं के 25 बच्चे हैं, ऐसी हर परिवार को वो 5000 रुपये की मदद कर रही हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई में किसी प्रकार की रूकावट न आए और वो अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.