द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ले ली। संसद के केंद्रीय कक्ष में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने उनको राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। मुर्मू का राष्ट्रपति बनना ऐतिहासिक है। जिसके अनेक कारण हैं जैसे कि प्रतिभा पाटिल के पश्चात मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में देश के सबसे महत्वपूर्ण व सर्वोच्च पद पर पहली बार किसी आदिवासी समुदाय के व्यक्ति को प्राप्त हुआ है। मुर्मू का जन्म भारत की स्वतंत्र होने के पश्चात हुआ और इस अनुसार वह पहली ऐसी और शीर्ष पद पर बैठने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि शपथ ग्रहण के पश्चात द्रौपदी मुर्मू को 21 तोपों की सलामी दी जाएगी।
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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्य और सरकार के प्रमुख अधिकारी समारोह में शामिल रहे।
महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रथम संबोधन के प्रमुख अंश…
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के सेंट्रल हॉल में उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य गणमान्य लोगों को बधाई दी।
भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है।
मुर्मू ने कहा कि मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है।
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संबोधन में आगे कहा कि हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य। कल यानि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है। ये दिन, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम, दोनों का ही प्रतीक है। मैं आज, देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं।
अपने जीवन यात्रा को बताते हुए कहा कि मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। मैं जनजातीय समाज से हूं, और वार्ड पार्षद से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है।
ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।