नई दिल्ली: सोमवार को गूगल ने डूडल बनाकर मनाया भारत की प्रथम महिला सत्याग्रही, लेखक एवं स्वतंत्रता सेनानी की जयंती।
Google ने डूडल पेज पर लिखा है: “1923 में, सुभद्रा कुमारी चौहान की दृढ़ता और सक्रियता ने उन्हें प्रथम महिला सत्याग्रही बनने के लिए प्रेरित किया। राष्ट्र मुक्ति आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लेने के कारण स्वतंत्रता की लड़ाई के संघर्ष में उन्हें गिरफ्तार भी होना पड़ा था। फिर भी अपने क्रांतिकारी कविताओं को शस्त्र की तरह प्रयोग करना जारी रखा।
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘झांसी की रानी’, में रानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर आधारित है जो कि हिंदी साहित्य में सबसे लोकप्रिय कविताओं में से एक है। उन्होंने कम उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। उनकी पहली कविता नौ साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी। अपनी रचनाओं को हिन्दी की खारीबोली में लिखा और वो बच्चों के लिए कविताएं एवं समाज के मध्यम वर्ग के जीवन पर आधारित कुछ लघु कथाएँ भी लिखी हैं। जिसमें कुल 88 कविताएँ और 46 लघु कथाएँ प्रकाशित हुईं।
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सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 1904 में उत्तर प्रदेश के निहालपुर गाँव में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उन्होंने 1919 में प्रयागराज के गर्ल्स स्कूल से मिडिल-स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। इनका विवाह खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुई। बाद में, वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गईं और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में पहली महिला सत्याग्रही बनीं। 1923 और 1942 में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सम्मलित होने के कारण उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा। दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए अपने प्रभावशाली लेखन और कविताओं को शस्त्र के रूप में प्रयोग किया। उनकी रचनाओं में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के समय भारतीय महिलाओं की कठिनाइयों और चुनौतियों को भी दर्शाया गया है।
15 फरवरी 1948 को सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन हो गया। उनके देश के लिए किये गये अनुकरणीय कार्य के सम्मान में भारतीय तटरक्षक जहाज का नाम उनके नाम पर रखा गया और मध्यप्रदेश की सरकार ने जबलपुर के नगर निगम कार्यालय के सामने उनकी मूर्ति लगाई।