उत्तर प्रदेश के बाढ़ प्रभावित गांवों में फंसे लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने व सुरक्षा इंतजामों का जायजा लेने सीएम योगी आदित्यनाथ स्वयं निकल पड़े. सीएम ने हवाई सर्वेक्षण के दौरान राहत कार्य में जुटे अधिकारियों के साथ बैठक कर राहत और बचाव कार्य से जुड़े विषयों की समीक्षा की. और उन्होंने बाढ़ में फंसे हुए लोगों एवं वहाँ के पशुओं को भी बचाने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़े जाने का निर्देश दिये।
सीएम योगी स्वयं 3 दिनों तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जिलों बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महारागंज, गोरखपुर के क्षेत्रों का निरीक्षण करेंगे. और बाढ़ की स्थिति की गहनता से निगरानी के पश्चात अधिकारियों से के साथ बैठक कर राहत व बचाव कार्य की कार्ययोजना तय करेंगे. सरकार ने युद्ध स्तर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे जन-जीवन को बचाने के लिए सरकारी तंत्र लगा दिया है. कोशिश यही है कि राहत और बचाव कार्य में तेजी ला कर जल्द स्थितियां सुधारने का प्रयास जारी है.
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सीएम ने बहराइच जिले का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में जिन फसलों एवं सब्जियों का हानि हुई है. उसका आकलन कर, तुरन्त व्यापक सर्वे करके राहत सामग्री के साथ-साथ सहायता राशि का भी वितरण समय सुनिश्चित करें.
प्रदेश सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में जन-जीवन के साथ-साथ पशुओं की जान बचाने के प्रतिबद्धता को दोहराते हुए 1001 स्वस्थ्य टीमें गठित कर दी हैं. 1131 बाढ़ शिविर बनाए हैं. जबकि 1321 बाढ़ चौकियां स्थापित की हैं. बचाव कार्य के लिए 5811 नाव और 353 मोटर बोट की भी व्यवस्था है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की मदद से 36786 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है. बाढ़ शिविरों में बाढ़ प्रभावित इलाकों से आए लोगों के रहने, खाने-पीने की उचित व्यवस्था की गई है.
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प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि सरकार बाढ़ प्रभावित इलाकों हेतु ड्राई राशन किट, लंच का पैकेट व तिरपाल भी वितरित कर रही है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य के दौरान सरकार अब तक 107608 ड्राई राशन किट, 421834 लंच का पैकेट और 98420 से अधिक तिरपाल का वितरण कर चुकी है. इसके अलावा पीने के लिए 101693 पानी के पाउच और 173194 से अधिक ओआरएस के पैकेट और 1565873 क्लोरीन के टैबलेट भी बांटे गये हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के पशुओं को बचाने के लिए भी 1200 पशु शिविर बनाए हैं।