जंगल के बीचो बीच बना एक ऐसा मंदिर है। जहां भक्तो की हमेशा भीड़ लगी रहती है। जैसा की हर मंदिर के जैसा इसका भी अपना एक अलग पहचान है। और इसकी कुछ कहानियां भी हैं। कहा जाता है। गोरखपुर में कुसमी जंगल लगभग 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तक फैला हुआ है। और उसी जंगल के बीचो-बीच में बुढ़िया माता मंदिर स्थित है।
जंगल के बीचो बीच बना यह एक ऐसा मंदिर है। जहां लोगो की हमेशा भीड़ लगी रहती है।परन्तु हर मंदिर के जैसा इसका भी अपना एक अलग महत्व है। और इसकी कुछ मान्यताएं और कुछ कहानियां भी हैं। कहा जाता है। गोरखपुर में कुसमी जंगल करीब 20 से 25 किलोमीटर की दूरी में फैला हुआ है। और उसी जंगल के बीचो-बीच बुढ़िया माता मंदिर है। जहां भक्त उनके दर्शन को जाते हैं। साधारणतः नवरात्र के समय वहां भीड़ इतनी बढ़ जाती है। की प्रशासन को सुरक्षा ब्यवस्थ करना पड़ता है। और प्रशासनिक सुरक्षा को ज्यादा करनी पड़ती है। श्रद्धालु नवरात्र के समय भारी संख्या में लोग माता रानी के दर्शन करने आते है और मां की पूजा अर्चना करते हैं कहानियों में कहा जाता है की उस जंगल के अंदर एक गांव हुआ करता था और उस गांव के लोगों को वहां की बुढ़िया माता ने श्राप दिया जिसके वजह पूरा गांव पुल गिर जाने की वजह से पोखरे में समा गया इस तरह की कहानियों का वर्णन आज भी वहां के दीवारों पर लिखा हुआ है और उसको उल्लेखित किया गया है।