Saturday, July 27, 2024
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    ISRO का मंगलयान मिशन खत्म, छह महीने के मिशन के लिए भेजा गया था मंगलयान

    6 माह के मिशन के लिए भेजा गया मंगलयान आठ साल और आठ दिन तक जिंदा रहा और अपनी अंतिम सांस तक लाल ग्रह मंगल के चारों ओर घूमता रहा. यह भारत के सामर्थ्य का जीवंत प्रमाण ही तो है। यह किसी वैज्ञानिक चमत्कार से कम नहीं है.

    अब मंगलयान मिशन खत्म  हो चुका है और ISRO का मार्स ऑर्बिटर मिशन से संपर्क टूट चुका है. इस मिशन की सफलता ने भारत और इसरों को संपूर्ण विश्व में अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान दिलाया। लेकिन अब मंगलयान के जीवन का अंत हो चुका है।

    जानें मंगल मिशन इसरो और भारत के लिए क्यूं है खास
    मंगलयान (Mangalyaan) की प्रक्षेपण के पश्चात ही भारत विश्व के उन गिने चुने देशों में सम्मिलित हो गया, जिसने मंगल ग्रह पर ऐसे किसी तरह का मिशन भेजा हो. यह मिशन श्रीहरिकोटा से 5 नवंबर 2013 को PSLV रॉकेट के द्वारा लॉन्च किया गया। तकरीबन 11 महीने की लम्बी यात्रा करने के पश्चात मंगलयान मंगल ग्रह के निकट पहुंचा. और यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO की सबसे बड़ी उपलब्धि तो है ही साथ ही इस मिशन के साथ अंतरिक्ष जगत में अनेक कीर्तिमान स्थापित किया। इस मिशन के जरिये भारत ने अपने पहले प्रयास में ही मंगलयान को मंगल तक पहुंचाया और उसकी कक्षा में स्थापित किया. और यह अविश्वसनीय घटना का साक्षी पूरा विश्व रहा।

    इस मिशन के मदद से हाइली एलिप्टिकल ऑर्बिट जियोमेट्री से लेकर नजदीकी प्वाइंट तक यानी कभी मंगल के पास से और कभी मंगल ग्रह के सबसे दूर से इमेज लेने में सक्षम ऑर्बिट की वजह से ही इसरो के वैज्ञानिक ने मंगल का फुल डिस्क मैप बना पाए. मंगलयान के मार्स कलर कैमरा ने 1100 से अधिक फोटो भेजीं. जिसमें आप मंगल ग्रह के अनेक स्थानों को देख और उनके बारे में जान सकते हैं. यही नहीं यह मिशन जब मंगल ग्रह की अंडाकार ऑर्बिट में सबसे दूर था तो पहली बार मंगल ग्रह के चंद्रमा डिमोस (Deimos) की तस्वीर ली।

    मात्र 450 करोड़ रुपये में इतना महत्वपूर्ण मिशन सफलता पूर्वक हो जाएगा ऐसा न देश ने और न ही हमारे वैज्ञानिकों ने कभी सोचा परन्तु उन्होंने कर के दिखाया और पहली बार में ही अपने मंगल मिशन में सफल हुए।  जबकि अमेरिका, रूस और यूरोप जैसे देश अनेकों बार अपने प्रयास में असफल होने के बाद ही मंगल ग्रह तक पहुंच पाए थे. मंगलयान के सही समय और एक ही बार में मंगल पर पहुंचने से ISRO की विश्व में अलग पहचान मिला और उसे विभिन्न देशों से सैटेलाइट प्रक्षेपण के कार्य मिलने लगे.

    लगभग 3 वर्षों तक विश्व भर में केवल भारत के मंगलयान और इसरो की चर्चा होती रही. ओर भारत में भी साइंस और इसरो को लेकर युवाओं में जिज्ञासा बढ़ी और लोगों के बीच इसरो के अन्य मिशनों को लेकर जिज्ञासा बढ़ गई.

    मंगलयान मिशन ने मंगल के ऑर्बिट में चक्कर लगाते हुए सोलर डायनेमिक्स, मंगल के धूल के तूफानों का कारण, एक्सोस्फेयर में हॉट आर्गन की खोज तथा मंगल की सतह से 270 किमी ऊपर ऑक्सीजन और CO2 की कितनी मात्रा का पता लगया।

    इससे प्राप्त डेटा से दुनियाभर के वैज्ञानिक अपनी शोध और अध्ययन को और बेहतर कर सकते हैं. देश के शैक्षणिक संस्थानों के स्टूडेंट्स इसरो से मंगल पर मिले डेटा, दस्तावेज और रिपोर्ट पर थीसिस बना सकते हैं.

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