Saturday, July 27, 2024
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    विजयदशमी के सुअवसर पर भगवान श्रीराम का रथ खींचेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

    कुल्लू, हिमाचल प्रदेश के दशहरा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी सम्मिलित होंगे। यहां के दशहरे का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। दशहरे के उत्सव कार्यक्रम में आने हेतु यहां पंजीकृत 332 देवी-देवताओं को भी निमंत्रण भेजा गया है। प्रधानमंत्री मोदी दशहरा महोत्सव के दौरान भगवान राम जी का दर्शन करने के उपरान्त उनका रथ भी खींचेंगे। इस दशहरे के अब तक के इतिहास में शामिल होने वाले प्रधानमंत्री मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे।

    यहां का दशहरा महापर्व का उत्सव पिछले 372 वर्षों से मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि इस उत्सव की शुरूआत 1660 के आसपास हुई थी। इसकी अध्यक्षता स्वयं भगवान रघुनाथ करते हैं। दशहरा उत्सव समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष इस उत्सव में सम्मिलित होने के लिए 332 देवी-देवताओं को निमंत्रण पत्र भेजती है। कुल्लू के साथ खराहल, सैंज, रूपी, ऊझी घाटी, बंजार, सैंज, रूपी वैली के सैकड़ों देवी-देवता की झांकियां दशहरे की शोभा बढ़ाने के लिए पहुंचेंगी।

    कहा जाता है कि यह दशहरा महोत्सव का सर्वप्रथम 1660 में आयोजन हुआ।  उस समय कुल्लू एक रियासत के रूप में जाना जाता था और उसकी राजधानी नग्गर हुआ करती थी। वहां के राजा जगत सिंह के शासनकाल में ही किसी अज्ञात कारण से एक गरीब ब्राह्मण दुर्गादत्त ने अपना आत्मदाह कर लिया था। जिसका दोष राजा जगत सिंह पर लगा और ऐसा माना जाता है कि वह गंभीर रूप से अस्वस्थ हो गए और असाध्य रोग से ग्रस्त हो गए। जिसके पश्चात ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति हेतु राजा ने बाबा किशन दास के आज्ञा से अयोध्या के त्रेतानाथ मंदिर से भगवान राम चंद्र, माता सीता और रामभक्त हनुमान की मूर्ति लाएं। यह कार्य बाबा किशन दास के शिष्य दामोदर दास ने किया। मूर्तियों को कुल्लू के मंदिर में स्थापित कर अपना राज-पाट भगवान रघुनाथ को सौंप दिया। और स्वयं मुख्य सेवक बन गए। तभी से दशहरे की यह परंपरा आज भी उतने ही उत्साह से मनाई जाती है।  

    कुल्लू में दशहरा उत्सव का आयोजन ढालपुर मैदान में होता है। दशहरा उत्सव में रघुनाथ जी को लकड़ी से बने रथ पर विराजमान करके फूलों से सजा कर, मोटे-मोटे रस्सों के सहारे रथ खींचकर दशहरा उत्सव का प्रारम्भ किया जाता है। इस अवसर पर राज परिवार के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा में छड़ी लेकर वहां उपस्थित होते हैं। और इसके आसपास कुल्लू के देवी-देवता विराजमान रहते हैं। कुल्लु के इस दशहरा की एक खास परंपरा ये भी है की यहां रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले नहीं जलाए जाते। यहां पर भगवान राम ढालपुर मैदान के निचले भाग में नदी किनारे लकड़ी से बनाई गई सांकेतिक लंका का दहन करते हैं। और प्रधानमंत्री आज इसी रथ को खींचकर दशहरे की आगाज करेंगे।

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