आर.बी.आई. के द्वारा रेपो रेट 50 बेसिस पॉइंट बढ़ाने के पश्चात रेपो रेट तीन वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के साथ 5.9% हो गया है। आर.बी.आई. के गवर्नर ने 30 सितंबर को अपनी घोषणा में बताया कि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 50 आधार अंक (bps) बढ़ाकर रेपो रेट को तीन वर्षों के उच्चतम स्तर पर 5.9% कर दिया है।
मीडिया से बात करते हुए गवर्नर ने कहा कि यह परिवर्तन त्वरित प्रभाव से लागू होंगे। आर.बी.आई. द्वारा वर्तमान वर्ष में ब्याज दरों की चौथी वृद्धि है। इससे पूर्व अगस्त में रेपो रेट में 50 आधार अंकों की वृद्धि की जा चुकी है और ब्याज दरों को 4.90 फीसदी से 5.40 फीसदी किया गया था। मई से अब तक 1.90 फीसदी की रेपो रेट में बढ़ोतरी की जा चुकी है।
आर.बी.आई. गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति (Inflation) करीब 7% है और इस वर्ष की दूसरी छमाही में यह इसका प्रतिशत 6% रहने की संभावना है। गवर्नर ने कहा कि “मुद्रास्फीति दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है। ऐसे में मौद्रिक नीति समिति को वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार सतर्क रह कर तैयार होगा।” वहीं आगे कहा कि पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पादन में वार्षिक आधार पर हुई वृद्धि 13.5% है।
देश में बढ़ती महंगाई पर लगाम कसने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक निरंतर ब्याज दर में वृद्धि कर रहा है, परंतु देश में महंगाई की दर भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्व निर्धारित सीमा से अधिक है। वहीं, आर.बी.आई. द्वारा रेपो रेट में वृद्धि करने से आवश्यक लोन की ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी, जिसके परिणाम स्वरूप ई.एम.आई. पर भी असर जाएगी।
रेपो रेट्स में वृद्धि से कॉस्ट ऑफ बॉरोइंग मतलब उधारी की लागत अधिक हो जाएगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि रेपो रेट अधिक होने से बैंकों की बॉरोइंग कॉस्ट भी अधिक हो जाएगी। जिसके फलस्वरूप लोन के ब्याज दर बढ़ने से लोन भी महंगा हो जाएगा। रेपो रेट में किसी भी परिवर्तन से होम लोन का ब्याज दर प्रभावित होता है। इसके अलावा शिक्षा लोन, पर्सनल लोन, वाहन लोन सहित व्यापार लोन भी महंगा हो जाएगा।